मनसा, वाचा, कर्मणा : जीवन की समग्रता का शाश्वत सूत्र भारतीय संस्कृति और दर्शन की गहराइयों में अनेक सूत्र और विचार समाए हैं जो जीवन को दिशा, संतुलन और सार्थकता प्रदान करते हैं। उन्हीं में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और कालजयी सूत्र है: “मनसा, वाचा, कर्मणा”। यह केवल तीन शब्द नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन-दर...
लिंगाष्टकम्: शिवलिंग की अनन्त महिमा और आध्यात्मिक साधना भगवान शिव भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में केवल एक देवता नहीं, बल्कि परमात्मा, योगेश्वर और सृष्टि-तत्त्व का साकार रूप हैं। जब हम उन्हें शिवलिंग के रूप में पूजते हैं, तो हम वस्तुतः उनकी अनन्त, निराकार और सर्वव्यापक सत्ता की आराधना करते हैं। इसी भाव ...
साँस में छुपी 25 प्रकार की ऊर्जा: भीतर की दिव्य शक्ति को जागृत करना साँस लेना केवल जीवित रहने की एक यांत्रिक क्रिया नहीं है, यह शरीर, मन और आत्मा को आपस में जोड़ने वाला वह पवित्र धागा है जो हमें सम्पूर्णता में जीने की कला सिखाता है। योग, आयुर्वेद और गूढ़ परंपराओं में साँस को प्राण कहा गया है, यह ब्र...
भारतीय संस्कृति में समाजवाद : जहाँ सेवा है, वहाँ समाजवाद है राज्यसभा सांसद और विद्वान् डॉ. सुधांशु त्रिवेदी जी के वक्तव्य पर आधारित समाजवाद को जानना है, तो भारत को देखिए आज जब दुनिया में समाजवाद को लेकर लंबी-चौड़ी बहसें होती हैं : कोई उसे आर्थिक मॉडल बताता है, कोई राजनैतिक विचारधारा, कोई सत्ता प्राप...